उत्तर प्रदेशभारत

राजघाट और विश्वसुंदरी पुल से कूदकर 14 लोगों ने दी जान

Kashi Ghat
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दुनिया भर के सैलानियों को रिझाने वाले काशी के गंगा घाट में तुलसी और सिंधिया घाट सबसे खतरनाक हैं। घाट की बनावट की वजह से अस्सी से राजघाट के बीच डूबने वालों में सबसे ज्यादा संख्या इन्हीं दोनों घाट पर होती है। मगर, राहत की बात यह है कि काशी में बढ़ रही सैलानियों की भीड़ और स्नान के प्रति उत्साह के बीच गंगा में डूबने वालों की संख्या में कमी आई है।

बीते छह साल में 2023 में सबसे कम 26 लोगों की मौत गंगा में डूबने से हुई। जबकि 2022 में यह आंकड़ा 112 था। गंगा घाटों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण वर्ष 2018 से 2022 तक डूबकर मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी।

जल पुलिस और एनडीआरएफ की सतर्कता की वजह से वर्ष 2023 में यह आंकड़ा बेहद कम हो गया। हालांकि गंगा में स्नान करने वालों के गहरे पानी में जाने के साथ ही राजघाट और विश्वसुंदरी पुल पर रेलिंग नहीं होने की वजह से भी वहां से छलांग लगाने वालों की संख्या बरकरार है। सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रति वर्ष दोनों पुल से 15 से 20 मौतें हो रही हैं। वर्ष 2023 में गंगा में डूबने वाले 26 लोगों में 14 पुल से छलांग लगाने वाले हैं।

जल पुलिस के अध्ययन में यह बात आई है कि गंगा में सामुदायिक जेटी की वजह से स्नान करने वालों को सुरक्षित ठौर मिल रहा है। इसकी वजह से हादसों का भी खतरा कम हुआ है। वर्ष 2022 से 2023 के बीच सभी जेटी लगाई गई हैं और इसके बाद डूबने वालों की संख्या में एकदम से कमी आई है। वर्तमान में तुलसी, शिवाला, केदार, अहिल्याबाई, मान मंदिर, मीर, सिंधिया और राजघाट पर जेटी लगाई गई है।

अधिकारी बोले

जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ और माझी समाज के सहयोग से गंगा में स्नान करने वालों की सुरक्षा को पुख्ता किया जा रहा है। वाटर एंबुलेंस और तेज रफ्तार नाव सहित अन्य संसाधन की वजह से सूचना के तत्काल बाद मदद के लिए पहुंच रहे हैं। हादसों के कम होने का एक बड़ा कारण यह भी है।

वर्ष                         गंगा में हुई मौत

2018                         59

2019                         73

2020                         66

2021                         78

2022                         112

2023                         26

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