असमोली के गांव सतुपुरा निवासी अनिल त्यागी की 16 वर्षीय बेटी चेष्टा त्यागी को घर से बाहर सफाई करते समय सांप ने डस लिया। परिजन किशोरी को अस्पताल ले जाने के बजाय झाड़फूंक कराने के लिए एक गांव से दूसरे गांव दौड़ते रहे। पांच घंटे तक झाड़फूंक कराने के बाद हालत ज्यादा बिगड़ी तो करीब 11 बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।
एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) देने के बाद मुरादाबाद के लिए रेफर कर दिया गया। जहां पर उसकी मौत हो गई। अंधविश्वास में समय गंवाने से किशोरी की जान चली गई। सतुपुरा निवासी अनिल त्यागी किसान हैं। उनकी बेटी चेष्टा कक्षा 11 की छात्रा थी। बुधवार की सुबह छह बजे चेष्टा घर के बाहर सफाई कर रही थी।
इसी दौरान घास से निकले सांप ने उसके पैर में डस लिया। चीखने की आवाज सुनकर परिजन मौके पर पहुंचे तो सांप जाता दिखा। परिजन किशोरी को झाड़फूंक कराने के लिए पास के गांव धरसौली ले गए। पांच घंटे तक झाड़फूंक करने के बाद जब किशोरी की हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।
जहां पर डॉक्टरों ने एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) देने के बाद हालत गंभीर होने पर उसे मुरादाबाद के लिए रेफर कर दिया। परिजन उसे मुरादाबाद ले गए, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। जिला अस्पताल के डॉक्टर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बताया कि किशोरी की हालत झाड़फूंक के दौरान किए गए उपचार से बिगड़ी थी। यदि समय रहते उपचार मिला होता तो किशोरी की जान बच जाती।
गांवों में अंधविश्वास की ये है वजह
सीएमएस डॉ. अनूप अग्रवाल ने बताया कि कि देश में 70 से 80 फीसदी सांप बिना जहर वाले होते हैं। ऐसे सांप जब किसी को डसते हैं और परिजन उन्हें किसी झाड़फूंक वाले के यहां ले जाते हैं तो जान बच जाती है। इससे गांवों में भ्रांति फैलती है कि झाड़फूंक वाले ने बचा लिया, जबकि असलियत में जान इसलिए बचती है कि डसने वाले सांप में जहर होता ही नहीं है।
ऐसे में जब किसी व्यक्ति को जहरीले सांप ने डसा होता है और वो भी झाड़फूंक के चक्कर में पड़ जाता है तो उसकी जान चली जाती है। इसलिए कोई भी सांप डसे तो झाड़फूंक के चक्कर में पड़ने के बजाय सीधे अस्पताल लेकर पहुंचें।
झाड़फूंक करने वालों का गांवों में फैला जाल, नहीं होती कार्रवाई
गांवों में जहां एक तरफ हर बीमारी का इलाज करने वाले झोलाछाप हैं तो वहीं सांप या अन्य किसी जहरीले कीड़े के काटने पर झाड़फूंक करने वाले भी कम नहीं है। गांव के लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर इन लोगों के पास पहुंच जाते हैं और झाड़फूंक में घंटों निकल जाते हैं। इसके चलते सर्पदंश के शिकार लोगों की जान चली जाती है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को झोलाछाप की तरह झाड़फूंक करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए।
सांप डसे तो क्या करें और क्या न करें
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. अनूप अग्रवाल के अनुसार अधिकतर मामलों में सांप पैर के अंगूठे या ऊपरी हिस्से पर डसते हैं, इसलिए इनके जहर का प्रभाव व्यक्ति के शरीर में धीरे-धीरे होता है। ऐसे में मरीज को एक घंटे के अंदर निकट के स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचें।
वहां पर एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) इंजेक्शन लगाकर मरीज की जान बचाई जा सकती है। डॉक्टरों ने बताया कि सांप के डसने पर झाड़फूंक के चक्कर में न पड़ें। जहां सांप ने डसा है उस हिस्से पर कोई हरकत न करें और न ही रस्सी बांधें।
ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है, तब स्थिति और ज्यादा खतरनाक हो जाती है। बस वहां पर निशान लगा दें। चीरा लगाकर खून निकालने का भी प्रयास न करें। प्रभावित अंग को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं, इससे ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। पीड़ित को चलने बिल्कुल न दें।
वर्जन : एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) वैक्सीन जिला अस्पताल के साथ ही हर सीएचसी और पीएचसी पर उपलब्ध हैं। ऐसे में अगर किसी को सांप डसता है तो वह झाड़फूंक के चक्कर में न पड़कर तत्काल नजदीक की पीएचसी, सीएचसी या जिला अस्पताल आकर इलाज कराएं। उनकी जान बच सकती है।