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दुष्कर्म के दोषी को सजा: , उसी के बाथरूम में दब गईं सिसकियां, जिस घर में करती थी अठखेलियां

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अलीगढ़ के पुराने शहर के तुर्कमान गेट इलाके में ताला कारखाना मजदूर की छह वर्षीय बेटी की दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी को शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए उम्रकैद से दंडित किया है। छह माह पुराने इस चर्चित कांड में शव छिपाने के सहयोगी भाई को भी चार वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश पॉक्सो सुरेंद्र मोहन सहाय की अदालत से सुनाया गया है। दोषियों पर भारी भरकम अर्थदंड भी तय किया गया है।

अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी महेश सिंह के अनुसार घटना 26 सितंबर 2023 की है। कोतवाली क्षेत्र के तुर्कमान गेट इलाकेमें किराये के मकान में रहने वाले ताला मजूदर की छह वर्षीय बेटी सुबह से गायब थी। दिन भर की खोज के बाद परिवार जब शाम छह बजे थाने पहुंचा तो पुलिस ने रात्रि करीब 9:45 बजे बच्ची का शव पड़ोसी के घर के बाथरूम से बोरे में बरामद किया। बच्ची की मां की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर रात में ही पुलिस ने साक्ष्यों व संदेह के आधार पर पड़ोसी परिवार के दो बेटों स्वालीन व रिजवान को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों से पूछताछ व पुलिस जांच में उजागर हुआ कि बच्ची व स्वालीन की बहन सहेली थीं। पड़ोसी होने के नाते दोनों एक दूसरे के घर खेलने आती-जाती रहती थीं। घटना वाले दिन बच्ची स्वालीन के घर खेल रही थी। तभी 11:30 बजे उसने बच्ची को बीस रुपये देकर गुटखा व खुद के लिए चिप्स लेने भेजा। जब वह लौटकर आई तो स्वालीन की बहन नीचे सोने चली गई। इसी दौरान वह बच्ची के साथ खेल-खेल में गंदी हरकत करने लगा। बच्ची शोर मचाते हुए जाने लगी।

आरोपी की नीयत बिगड़ गई और उसके साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया। जब खून से लथपथ बच्ची ने रोते हुए घर जाने की जिद की तो वह डर गया और गला दबाकर बच्ची की हत्या कर दी। इसी बीच दूसरा भाई रिजवान भी वहां आ गया। इसके बाद दोनों भाइयों ने मिलकर दोपहर ढाई बजे शव को बोरे में बंद कर बाथरूम में रख दिया और तय किया कि रात को इसे ठिकाने लगा दिया जाएगा। मगर उससे पहले वे पकड़े गए। पोस्टमार्टम में दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या किया जाना उजागर हुआ। पुलिस ने दोनों भाइयों पर चार्जशीट दायर कर दी।

न्यायालय में सत्र परीक्षण के दौरान साक्ष्यों व गवाही के आधार पर स्वालीन को दुष्कर्म में पॉक्सो व हत्या का दोषी करार दिया है। जिसमें उसे जीवनकाल तक उम्रकैद की सजा व 1.20 लाख रुपये अर्थदंड और शव छिपाने में सहयोग रिजवान को चार वर्ष कैद व दस हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि में से 75 हजार रुपये पीड़ित पक्ष को देने के आदेश दिए हैं। इस मामले में वादी पक्ष से अधिवक्ता हरिओम वार्ष्णेय ने भी पैरवी की।

जिस घर में करती थी अठखेलियां, उसी के बाथरूम में दब गईं सिसकियां

जिस मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी को जीवनभर के लिए जेल की सजा सुनाई गई है। उसका परिवार अभी उस दर्द को भुला नहीं पाया। मां का तो हाल बेहाल है। हालांकि दोषी को सजा सुनाए जाने के बाद चेहरे पर खुशी झलकी।

परिवार की मानें तो ये कभी न सोचा था कि पड़ोसी के जिस घर में दिन भर उनकी बेटी खेलती, अठखेलियां करती थी। उसी घर में उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा। वह भी ऐसी साजिश रचकर कि दिन भर दोनों ही परिवार बच्ची को तलाशते रहे और शव देर रात उसी घर के बाथरूम से बरामद हुआ। तुर्कमान गेट चौराहे के एक कारोबारी के दो मकान हैं। एक में पीड़ित परिवार रहता है। दूसरे में दोषी का परिवार रहता था। जो कुछ दिन पहले ताला लगाकर वहां से चले गए।  पीड़ित परिवार जिस मकान में रहता है, उसके दो दरवाजे हैं, एक रोड की तरफ खुलता है। दूसरा गली में पड़ोसी के मकान की ओर खुलता है। पीड़ित दंपती पर चार बच्चों में सबसे बड़ी बेटी, उससे छोटा बेटा, फिर मृत बच्ची के अलावा एक और बेटा है। घटना वाले दिन रोजाना की तरह पिता काम पर चला गया था। मां भी किसी काम से बाजार जा रही थी। तभी ये घटना हुई।

खुद की बहन को डांटकर भेज दिया नीचे, तलाश में जुटा रहा

पुलिस जांच में उजागर हुआ कि खुद स्वालीन ने बच्ची की मां से दोपहर बारह बजे से दो बजे के मध्य तक यह कई बार पूछा कि बच्ची कहीं दिखाई नहीं दे रही, कहां गई। इस पर मां ने हर बार यही जवाब दिया कि खेल रही होगी। कहां जाएगी। मगर दो बजे जब मां को चिंता हुई और तलाश शुरू की तो हर तरफ से यही जवाब मिला कि एक बजे के आसपास बच्ची को आरोपी के घर की ओर जाने वाली गली में जाते देखा है। इस बीच उसकी सहेली यानि स्वालीन की छोटी बहन से पूछा तो उसने जवाब दिया कि सुबह के वक्त छत पर हम साथ थे। फिर भाई ने उसे बहाने से नीचे भेज दिया। इसके बाद से नहीं पता। उसे लगा कि वह अपने घर चली गई होगी।  जब परिवार बच्ची को तलाशने में लगा तो खुद स्वालीन व उसके तीनों भाई भी परिवार के साथ बच्ची को तलाश रहे थे।

दुकानदार व पड़ोसियों ने दी गवाही

इस घटना में परिवार के अलावा दुकानदार व एक पड़ोसी ने यही गवाही दी कि बच्ची को आखिरी बार स्वालीन के घर जाते देखा है। सीसीटीवी ने भी यही इशारा किया, तभी पुलिस उसकी लाश बरामद करने में सफल हुई।

डेढ़ माह में ऐसे पूरा हुआ ट्रायल

इस घटना में 23 जनवरी को आरोप विचारित करते हुए ट्रायल शुरू किया गया। इसके बाद 30 जनवरी को वादिया मां, 9 फरवरी को मुकदमा लेखक, 12 फरवरी को पिता, 13 फरवरी को पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर व एक अन्य गवाह, 15 को दुष्कर्म संबंधी परीक्षण करने वाली डॉक्टर, 17 को बच्ची को आखिरी बार स्वालीन के घर आते जाते देखने वाले गवाह व विवेचक की गवाही हुई। 19 को आरोपियों के बयान हुए और 21 व 23 को सफाई साक्ष्य की प्रक्रिया हुई। 26 को बहस और 1 मार्च को सजा सुनाई गई।

धमकी के बाद भी नहीं डिगा परिवार

इस मामले में वादी पक्ष के अधिवक्ता हरिओम वार्ष्णेय का कहना है कि मामले में वादी पक्ष को अदालत में ही धमकी तक मिली थी। आरोपी पक्ष के मामा की ओर से यह धमकी दी गई कि वे गवाही से हट जाएं, अन्यथा बच्ची जैसा होगा। मगर परिवार नहीं डिगा और मजबूत गवाही दी। उसी आधार पर अदालत ने हमें न्याय दिया है। इसके लिए हम अदालत के आभारी हैं।

मिशन शक्ति अभियान के तहत चिह्नित पत्रावली पर न्यायालय में बहुत तेजी से ट्रायल पूरा कराया गया। अभियोजन के मजबूत साक्ष्यों व गवाही को आधार मानकर सजा सुनाई गई है।

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