सुशांत गोल्फ सिटी में सोमवार दोपहर एक रियल एस्टेट कारोबारी ने अपने दफ्तर में गोली मारकर खुदकुशी कर ली। दफ्तर के भीतर कुर्सी पर खून से लथपथ उनका शव मिला। सामने मेज पर अवैध पिस्टल रखी मिली। पुलिस के साथ ही फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए। पिस्टल कब्जे में ली। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है। जिसमें कारोबारी ने आत्महत्या के लिए खुद को ही जिम्मेदार ठहराया है।
गोसाईंगंज के मलौली गांव निवासी आदित्य मिश्र (45) रियल एस्टेट के कारोबारी थी। सुशांत गोल्फ सिटी में उनका दफ्तर है। वहां कमरे भी बने हैं। परिजनों के मुताबिक आठ-दस दिन से आदित्य दफ्तर में ही रह रहे थे। दोपहर पौने एक बजे आदित्य ने अपने मुंह में गोली मार ली। दफ्तर के भीतर और बाहर मौजूद उनके साथियों ने गोली चलने की आवाज सुनी तो दौड़कर आदित्य के कमरे में पहुंचे। जहां आदित्य का खून से लथपथ शव कुर्सी पर मिला।
साथियों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। डीसीपी साउथ तेज स्वरूप सिंह ने बताया कि जांच में खुदकुशी का मामला पाया गया। सुसाइड नोट भी मिला है। जिसमें कारोबारी ने खुदकुशी के लिए खुद को ही जिम्मेदार ठहराया है। हर पहलू पर तफ्तीश की जा रही है। अगर कोई साक्ष्य पाए जाते हैं तो उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी। दफ्तर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज पुलिस खंगाल रही है।
जमीन से उठाकर मेज पर रखी पिस्टल
वारदात के वक्त दफ्तर में आदित्य के दोस्त दीपक, सोम मिश्र, रोहित कुमार और विशाल मौजूद थे। पुलिस ने सभी से पूछताछ की। हैरानी इस बात की है कि सभी का यही कहना था कि जब आदित्य ने गोली मारी तो वह उनके कमरे में नहीं थे। एक-दो लोग बाहर व अन्य लोग भीतर थे। वहीं, जिस तरह से पिस्टल मेज पर व्यवस्थित रखी मिली उससे भी कुछ संदिग्धता हुई। इस बारे में रोहित ने बताया कि उन्होंने पिस्टल नीचे पड़ी देखी तो उठाकर मेज पर रख दी थी। पुलिस पूछताछ और छानबीन कर रही है।
छात्रनेता की हत्या में गए थे जेल, दर्ज हैं कई आपराधिक केस
एडीसीपी साउथ शशांक सिंह ने बताया कि आदित्य पर कई आपराधिक केस दर्ज हैं। पांच केस गोसाईंगंज थाने में दर्ज हैं। इसके अलावा कई थानों में जमीन कब्जाने, मारपीट, बवाल आदि के केस हैं। वर्ष 2004 में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रनेता उपेंद्र सिंह मानू हत्याकांड में भी आदित्य जेल गए थे। करीब डेढ़ साल पहले शहीद पथ के पास स्थित एक मॉल में हनुमान चालीसा पढ़ने के मामले में पुलिस ने उनको शांतिभंग के तहत जेल भेजा था।